फितरत ::: ©


 फितरत ::: ©

आईने पे न शिकन है न किरचें कहीं.. उसे तो बस किसी की फिकर नहीं..
कह देखो शायद सुन ले वो तुम्हें भी.. वर्ना चेहरे बदलना है फितरत उसकी..

__________________जोगी  :((

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Comments

2 Responses to “फितरत ::: ©”

Barthwal said...
23 December 2010 at 9:37 am

इंसान की फितरत है जोगी भाई.....चेहरे बदलना

Unknown said...
23 December 2010 at 2:42 pm

► प्रति भईया... आपका धन्यवाद .......

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