प्यार में तुम.. Copyright © 2011
Photography by :- Jogendra Singh
प्यार में तुम जीते रहो ,
प्यार में तुम मरते रहो ,
प्यार में धोखा देते रहो ,
प्यार में धोखा खाते रहो ,
प्यार कहाती इबादत है ,
हाँ इस इबादत पर तुम ,
किसी की बली लेते रहो ,
प्यार पर बली देते रहो ,
प्यार खुद एक धोखा है ,
प्यार भरे धोखे से तुम ,
वफ़ा की उम्मीद क्यूँ करो ,
प्यार नमक है गला देगा ,
दरिया की तरह बहा देगा ,
राहू है प्रेम, दशा केतु वाली ,
जंग दिमागी है और शरीरी ,
खुशियों के चन्द्रमा पे नज़र ,
बुद्धि पर लगा कॉर्क है प्रेम ,
हर समंदर नहीं है एक सा ,
कि जाओ गोते लगा आओ ,
प्रेम समंदर में शार्क भी हैं ,
सत्यानाश करा लो प्यार में ,
भट्टा भी बिठा लो प्यार में ,
तब भी कहो बंदगी है प्यार ,
वरना आ जाओ संग हमारे ,
जमाते हैं महफ़िल प्रेम की ,
नर से नारी नहीं, प्रेम हो तो ,
हो इंसान से इंसान के बीच ,
संग गले मिल दोहराएँ इसे ,
प्रेम परिभाषा फिर से गढ़ें...!!
जोगेन्द्र सिंह Jogendra Singh (18 जनवरी 2011)
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Comments
9 Responses to “प्यार में तुम.. Copyright © 2011”
वाह! प्यार की बहुत ही खूबसूरत परिभाषा दी है।
● वंदना जी ,,, आपका धन्यवाद दोस्त...... :)
● वंदना जी ,,, मुझे उसली दिन वाला लिंक मिल जाये तो कहने ही क्या....... क्यूंकि इसे मैं वहाँ ढूंढ नहीं पा रहा हूँ दोस्त..... :)
बहुत ही बेहतरीन शब्द रचना ।
बहुत सुन्दर भाव परें इंसान से इंसान को करना चाहिए ....
चर्चामंच का लिंक यह है ...
http://charchamanch.uchcharan.com/2011/01/404.html
har muktak pyara laga.
सदा जी ,,, धन्यवाद दोस्त.......
संगीता स्वरुप जी ,,,
यह लिंक देने के लिए एवं मेरी रचना पसंद करने के लिए आपका धन्यवाद दोस्त.......
झंझट जी ,,,
ये आपने अपने नाम के साथ झंझट क्यूँ चिपका लिया दोस्त.....
पता नहीं पर मजेदार सा है.....
मुक्तक पसंद करने के लिए धन्यवाद......
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