नामाकूल असभ्य है.. ©


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भईया हमें थैंक्स की बीमारी हो गयी है ,
हम मतबल कथित सभ्यता का मारा इंसान ,
अब भईया काहू ने छींक दीना ,
तो ये सॉरी और वो गौड़ ब्लैस यू कह मारेगा ,
बिन पढ़े पोस्ट, कमेन्ट पर लाईक कर गया ,
तो फूला मानुष दो मन थैंक्स दे मरेगा ,
थैंक्स भी अब कला हो गयी है प्यारे ,
नाना प्रकार भांति-भांति उपयोगित होते ,
कोई थैंक्स को अलंकृत करता इतना कि ,
मूल रचना से सुन्दर उनका थैंक्स बन जाता ,
मीलों सात समंदर पर से लोग रचना छोड़ ,
थैंक्स की सज~धज निहारने आते ,
कुछ गीले-सूखे से ही अपना काम चलाते ,
कोई थैंक्स सूखा ही चिपका आता ,
सभ्यजन कहते "नामाकूल असभ्य है" !!

▬● जोगेन्द्र सिंह Jogendra Singh (08 फरवरी 2011)
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Comments

4 Responses to “नामाकूल असभ्य है.. ©”

8 February 2011 at 1:48 pm

बहुत सही सर!

बसंत पंचमी की शुभ कामनाएं.
सादर

8 February 2011 at 4:15 pm

भाई वाह क्या थैंक्स की बखिया उधेड़ी है..
बहुत अच्छी....
बसंत पंचमी पर बधाई

Unknown said...
8 February 2011 at 9:59 pm

वीना जी ,,,

आपका बहुत बहुत आभार दोस्त.....

आपको बसंत पंचमी की शुभ कामनाएं.....

Unknown said...
8 February 2011 at 9:59 pm

यशवंत जी ,,,

आपका बहुत बहुत आभार दोस्त.....

आपको बसंत पंचमी की शुभ कामनाएं.....

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