● फ़रिश्ते होते हैं बंधुवर ● (एक खोज)


फ़रिश्ते होते हैं बंधुवर (एक खोज)
Copyright © 2009-2011

फरिश्तों को ढूँढने ,
दूर कहाँ जाते हो मित्रवर ?
वे नहीं मिलेंगे तुम्हें ,
किसी झील-पोखर के किनारे ,
ना घर में ना बाहर ,
ना निकलती श्वासों में ,
ना मिलेंगे किसी मानुष में ,

फ़रिश्ते होते हैं बंधुवर ,
वे मिलेंगे तुम्हें ,
कल्पनालोक की गलियों में ,
मन की चाक कंदराओं में ,
भीतर प्रविष्ट होती श्वासों में ,
मासूम चातक की भोली आँखों में ,
कहाँ जाते हो दूर बंधुवर ,
दफ़न मिलेंगे ह्रदय के गहन अँधेरों में..

जोगेन्द्र सिंह Jogendra Singh ( 03-03-2011 )
_____________________________________________

मेरी ऊपर वाली कविता जिन दो पंक्तियों से प्रेरित होकर बनी है वे नीचे लिखी हुई हैं :

वो फरिश्ते आप तलाश करिए कहानियो की किताब मे,
जो बुरा कहे न बुरा सुने कोई शख्स उनसे खफ़ा न हो ..... ( ऋतु दुबे )
_____________________________________________
http://jogendrasingh.blogspot.com/
http://indotrans1.blogspot.com/
_____________________________________________
● फ़रिश्ते होते हैं बंधुवर ● (एक खोज)SocialTwist Tell-a-Friend

Comments

No responses to “● फ़रिश्ते होते हैं बंधुवर ● (एक खोज)”

Post a Comment

Note : अपनी प्रतिक्रिया देते समय कृपया संयमित भाषा का इस्तेमाल करे।

▬● (my business sites..)
[Su-j Health (Acupressure Health)]http://web-acu.com/
[Su-j Health (Acupressure Health)]http://acu5.weebly.com/
.

Related Posts with Thumbnails