● निपट अकेला मैं ● Copyright © 2009-2011
दूर कहीं
उदास खड़ा
वीराने को बसाता
जर्द पत्ते सा
रीते हाथ
पूरित ख्वाब
रिक्त परिणिति
अधूरी आशाएँ
ह्रदय वेध
एक पीड़ा
एक कशमकश
बिन तेरे साथ दिए
पार करता
झंझावत
जीवन के
और उन सबमें
डूबता ऊबता
निपट अकेला मैं
● जोगेन्द्र सिंह Jogendra Singh (12-04-2011)
_____________________________________________
● http://jogendrasingh.blogspot.com/
● http://indotrans1.blogspot.com/
_____________________________________________