● मेरे आँसुओं का सैलाब ● ©
ऐ आसमान,
तू आज यूँ न बरस,
कि तेरे बरसने में,
मेरे आँसुओं का सैलाब,
छिप न जाये कहीं,
आज ही तो आया है,
.. वक्त ..
मेरे बरसने का,
वरना सैलाब तो क्या,
यूँ हमने,
छींटे तक न आने दिये कभी..
● जोगेन्द्र सिंह Jogendra Singh (06-01-2012)
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Comments
8 Responses to “मेरे आँसुओं का सैलाब”
बहुत खूब ... अच्छा लगा आपका संवाद ...
▬● दिगंबर साहब , आपका धन्यवाद......
बहुत सुन्दर... वाह!
बधाई...
▬● आभार संजय साहब.......
bahut sundar
▬● सोमाली जी , शुक्रिया दोस्त.....
पढ़ रहा हूँ ...समझ रहा हूँ ..सोच रहा हूँ
गहन ...मर्मस्पर्शी ...
आपको वसंत पंचमी की ढेरों शुभकामनाएं!
▬● भास्कर साहब / धन्यवाद और शुभकामनायें आपके लिए....
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