किसे दिखाऊँ अधूरी ख्वाहिशें



किसे दिखाऊँ अधूरी ख्वाहिशें ● ©

शाम की स्याही सा स्याह चेहरा,
दडबे से चुराए अंडे सा जर्द,
आँखों के कोटर से जब देखा,
पीला जर्द पड़ चुका चेहरा अपना,

ढुलमुल हौले गिरते क़दमों से,
आज फिर मैं बढ़ा जा रहा था,
चिर-परिचित लहरदार उस,
त्रणपूरित सूखी पगडण्डी पर,

हाल ही तो तआर्रुफ़ मिला,
बंजर से अपने जीवन का,
पलती हसरतें अबोधपन में,
क्योंकर दरकती जाना है आज,

सर पे न लहराया साया कभी,
न ओट मिली धूप में कभी,
खुले आसमान तले बेजरुरी,
भीगते न चंदोवा मिला कभी,

देर तक भीगी, फूलकर बदरंग,
शफ्फाक हुई, त्वचा सा जीवन,
भुंजते भाड़ से निकलकर आयी,
राख सा बदबख्त बना जीवन,

रात तडपती भूखी आंतों सी,
लपलपाती अतृप्त आत्मा सी,
जाकर किसे दिखाऊँ चुभती,
सारी अपनी अधूरी ख्वाहिशें..?

● जोगेंद्र सिंह Jogendra Singh ( 23-01-2012)
http://web-acu.com/
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Comments

14 Responses to “किसे दिखाऊँ अधूरी ख्वाहिशें”

Udan Tashtari said...
24 January 2012 at 4:51 am

बहुत उम्दा रचना...

खुद के भीतर ही जज्ब करना होता है...

Arun sathi said...
24 January 2012 at 6:37 am

साधु-साधु

24 January 2012 at 7:04 am

बहुत अच्छी रचना |बधाई |
पहली बार आपके ब्लॉग पर आई हूँ यहाँ बहुत अच्छा लगा |
मेरे ब्लॉग पर आने के लिए आभार |
आशा

24 January 2012 at 11:13 am

वाह बहुत खूब
जिंदगी में कुछ अधूरेपन की कशमश नज़र आने को हैं.....आभार

24 January 2012 at 12:28 pm

अधूरी ख्वाहिशें तडपाती हैं उम्र भर ...
इनकी कशमकश को शब्दों की लगाम दे दी है ... लाजवाब रचना ...

24 January 2012 at 3:06 pm

वाह....बहुत उम्‍दा लि‍खते हैं आप। अच्‍छा लगा यहां आना।

24 January 2012 at 4:14 pm

वाह; बहुत खूब..बहुत अच्छा लगा यहाँ आना...

Unknown said...
25 January 2012 at 1:04 am

▬● बहुत-२ आभार आप दोस्तों का...
आप सभी का यहाँ आना और मेरे साधारण से लिखे को कमाल बता देना तो और भी अच्छा लगा........ हा हा हा......
एक बार फिर से शुक्रिया दोस्तों......

25 January 2012 at 8:42 pm

बहुत सुन्दर प्रस्तुति
सादर
एक ब्लॉग सबका '

28 January 2012 at 7:05 pm

वाह बहुत खूब जोगेंदर जी
मेरे ब्लॉग पर आने के लिए आभार |

संजय भास्कर

31 January 2012 at 8:18 pm

प्रिय जोगिन्दर जी अभिवादन और गणतंत्र दिवस , वसंत पंचमी की हार्दिक शुभ कामनाएं ..
बहुत सुन्दर रचना ...रात तडपती भूखी आँतों सी ...जिन्दगी की राहों को दर्शाती हुयी ...बहुत अच्छा लगा आप का ब्लॉग
....
भ्रमर का दर्द और दर्पण में भी आइये - अपना स्नेह बनाये रखें और समर्थन भी हो सके तो दें /
भ्रमर ५

S.N SHUKLA said...
1 February 2012 at 4:02 pm

बहुत सुन्दर रचना,सुन्दर भावाभिव्यक्ति.

कृपया मेरे ब्लॉग पर भी पधारें, अपनी राय दें, आभारी होऊंगा.

Unknown said...
5 February 2012 at 6:13 pm

▬● दोस्तों ...
एक बार फिर से शुक्रिया... आप सभी ने मेरी साधारण सी कविता पर इतने मूल्यवान विचा / वक्तव्य दिए... मेरी पूरी कोशिश रहेगी कि आपके लिखे को पढ़-पढकर अपना ज्ञान बढाता रहूँ........

16 February 2012 at 5:40 pm

adhure khwabon ki sundar bangi..
Camera se khinchi tasveer aur phir uske niche likhi kavita ka concept bahut achha laga....

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