● सच्ची साधना.......
● सच्ची साधना....... हाँ, यही तो है वह , जिसे करने से बहुधा हम बच लिया करते हैं........ कितने कमाल की बात है ना, कि जागृत होने के लिए हमें प्रेरक प्रसंगों की जरुरत हुआ करती है....... और हम जागते भी कितना हैं........? कुछ क्षण.....? कुछ घंटे.....? या कुछ दिन.....? ना..... कतई ना..... हम जगे ही कहाँ होते हैं..... शायद सपने ऐसे ही असर रखते हों.......
● जोगी...
Comments
One response to “सच्ची साधना”
बढिया विचार
मिलिए सुतनुका देवदासी और देवदीन रुपदक्ष से रामगढ में
जहाँ रचा कालिदास ने महाकाव्य मेघदूत।
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