बैसाखी.. :| (एक निस्वार्थ प्यार)


● बैसाखी.. :| (एक निस्वार्थ प्यार) ●

गर है तू साथ,
हर कदम बन जाऊँ तेरा,
गर है तू साथ,
बन जाऊँ बैसाखी तेरी,
गर है तू साथ,
रहती साँस साथ निभाऊँ तेरा,
गर है तू साथ,
हमकदम बनूँ मैं तेरा,
गर है तू साथ,
हमखयाल बन जियूँ संग तेरे,
गर है तू साथ,
बहते मोती पी जाऊँ तेरे,
गर है तू साथ,
वजह ख़ुशी की तेरी मैं बन जाऊँ,
गर है तू साथ,
दर्द तेरा महसूस मैं कर जाऊँ,
गर है तू साथ,
तुझसे पहले घर खुदा का खुद देख आऊँ..

पर साथ कौन किसी के होता है..
यहाँ मुझे आना अकेले, फिर अकेले चले जाना होता है..

Jogendra Singh जोगेंद्र सिंह (2012-12-03)
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