● चित्रलेखा ● Copyright ©
छूने चली सितारों को देखो आसमान तक,
चित्रलेखा बन सजायी लकीर मन्दाकिनी से,
वक्ती चिंता है यह जिसे आँखों में सजाये हो,
गम न करो जल्द इससे पार पा जाओगी,
दूर नहीं है कोई आसमान अब तुम्हारे लिए..!!
● जोगेन्द्र सिंह Jogendra Singh (17-05-2011)
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Comments
2 Responses to “चित्रलेखा”
sundar kshanikayen
▬● अमृता जी , धन्यवाद दोस्त........
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