● जितनी समृद्ध भाषा संस्कृत है इतनी पूरी दुनिया में कोई भाषा नहीं.....
इसमें जुबाँ के हर मोड / हर एंगल / हर आकार से निकली ध्वनि को अभिव्यक्त करने के लिए कोई ना कोई शब्द अथवा शब्द संमूह मिल जायेगा...
● जोगी (06-02-2012)
● शऊर कोई खुली नाद का बैल नहीं जो हर कहीं विचरता फिरे.....
उसके लिए तो लंबी साधना चाहिए होती है.........
● जोगी (05-02-2012)
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Comments
2 Responses to “संस्कृत और शऊर”
बहुत खूब कहा है ... और सच भी कहा है ...
▬● मिस्टर नासवा / बहुत-२ धन्यवाद दोस्त.......
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