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दूसरों के दुःख महसूस करके उन्हें दूर करने की कोशिश एक अलग बात है और उनके दुःख में खुद दुखी होकर बेकार हो जाना संवेदनशीलता नहीं सिर्फ मूर्खता है...... ना तो तुम उसके काम आ पा रहे होते हो और ना ही खुद अपने.....
● जोगी..... :)
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