✿ܓ ● नामाकूल असभ्य है.. Copyright © 2009-2011
भईया हमें थैंक्स की बीमारी हो गयी है ,
हम मतबल कथित सभ्यता का मारा इंसान ,
अब भईया काहू ने छींक दीना ,
तो ये सॉरी और वो गौड़ ब्लैस यू कह मारेगा ,
बिन पढ़े पोस्ट, कमेन्ट पर लाईक कर गया ,
तो फूला मानुष दो मन थैंक्स दे मरेगा ,
थैंक्स भी अब कला हो गयी है प्यारे ,
नाना प्रकार भांति-भांति उपयोगित होते ,
कोई थैंक्स को अलंकृत करता इतना कि ,
मूल रचना से सुन्दर उनका थैंक्स बन जाता ,
मीलों सात समंदर पर से लोग रचना छोड़ ,
थैंक्स की सज~धज निहारने आते ,
कुछ गीले-सूखे से ही अपना काम चलाते ,
कोई थैंक्स सूखा ही चिपका आता ,
सभ्यजन कहते "नामाकूल असभ्य है" !!
▬● जोगेन्द्र सिंह Jogendra Singh (08 फरवरी 2011)
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Comments
4 Responses to “नामाकूल असभ्य है.. ©”
बहुत सही सर!
बसंत पंचमी की शुभ कामनाएं.
सादर
भाई वाह क्या थैंक्स की बखिया उधेड़ी है..
बहुत अच्छी....
बसंत पंचमी पर बधाई
वीना जी ,,,
आपका बहुत बहुत आभार दोस्त.....
आपको बसंत पंचमी की शुभ कामनाएं.....
यशवंत जी ,,,
आपका बहुत बहुत आभार दोस्त.....
आपको बसंत पंचमी की शुभ कामनाएं.....
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