निपट अकेला मैं



निपट अकेला मैं Copyright © 2009-2011

दूर कहीं
उदास खड़ा
वीराने को बसाता
जर्द पत्ते सा
रीते हाथ
पूरित ख्वाब
रिक्त परिणिति
अधूरी आशाएँ
ह्रदय वेध
एक पीड़ा
एक कशमकश
बिन तेरे साथ दिए
पार करता
झंझावत
जीवन के
और उन सबमें
डूबता ऊबता
निपट अकेला मैं

जोगेन्द्र सिंह Jogendra Singh (12-04-2011)
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तब भी वह माँ थी


तब भी वह माँ थी :-

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तब भी वह माँ थी जब उसने तुम्हें जन्मा था...!!
अब भी वह माँ है जब वह तुम्हारे द्वार पड़ी है...!!

_______________________ Jogendra Singh ( 08-04-2011 )

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अश्कों के सितारे



अश्कों के सितारे बहाकर या उन्हें पीकर मुहब्बत कब होने लगी...?
बिन पाए दामन-ऐ-महबूब , तेरी मुहब्बत पूरी कब होने लगी...?

(जोगी) ०७-०४-२०११

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निगाहों की तपिश



निगाहों की तपिश : Copyright © 2009-2011

उसने देखा मुझे, कुछ इस कदर,
कि रहमत पे तेरी मुझे ऐ खुदा,
छूट जाने लगा यकीन पल-पल,
शोलों भरी आँखों में नूर का अंश,
फडक-भड़क राख में बदलने लगा..


जोगेन्द्र सिंह : जोगी ( ०४-०४-२०११ )
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हौंसले




हौंसलों की क्या बात करदी तुमने,
हौंसलों की हमें कभी कमी न रही,
ये तो नसीब है जो चलता है हौंसले से आगे,
वरना परवाह हमने भी न की, कभी ज़माने की..

_____ जोगी ) ०४-०४-२०११

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