Thursday, 25 August 2011
- By Unknown
कठपुतली... ? ©
कैसी है रे तू कठपुतली...... ?
तेरे नाच पे सारा जीवन नाचे है,
समझ से हमने समझा अपना जिसे,
वह जीवन तुझ सा अब लगता क्यूँ है...?
● जोगेन्द्र सिंह Jogendra singh ? ● ? ● ? ● ? ● ?
● ( 25-08-2011 )
कठपुतली
Comments
4 Responses to “कठपुतली”
जीवन कठपुतली जैसा ही होता है,कोई है जो हमे नचा रहा है।
सादर
क्योंकि हम सब भी हालात की डोर से बँधी हुई कठपुतली की तरह ही हैं जिसका नियंता ऊपरवाला है ! सुन्दर क्षणिका ! आभार !
bahut khoob Jogendra ji...
yahi to sach hai... jise aapne chand shabdon mei samet liya...
हम सब कठपुतली ही तो हैं 'उसके' हाथों की ....
बहुत बढ़िया प्रस्तुति...
सादर बधाई...
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