● पुरानी बासी बुढिया ● ©
अभी तो मैं जवान हूँ, अभी तो मैं जवान हूँ,
मुँह में दाँत नहीं , आहा, पेट में आँत भी नहीं,
हाथ चले कीर्तन में, देखो पाँव की राह कबर में,
पोते से लिए दाँत मंगा, आहा देखनी बुढिया मुझे,
उन पर ब्रश किया है, साल भर बाद किया है,
पीछे से आ गयी हाय, पुरानी बासी बुढिया,
डंडे-झाड़ू से पूजा, हाय लातों-घूसों से मुझे,
काहे आ गयी बुढिया, नयी शर्मीली बुढिया,
न माना दिल ये मेरा, उसी को घूरता रहा,
पिटता गया, देखता गया, नामाकूल दिल ये मेरा,
आ गया बुड्ढा नया, मिरच को साथ ले आया,
उतर गया भूत मेरा, तब, जवानी पिलपिला गयी,
हाय जवानी पिलपिला गयी, किया मायूस मुझे,
आया फिर दिन वो नया, मुस्कुरा के वो गयी,
कबर फाडी, बाहर आया, जवानी वापस आयी,
पीछे से आ गयी हाय, फिर, वही बासी बुढिया...
हाय राम... धम्म धडाम... धम्म धम्म धम्म....
● जोगेन्द्र सिंह Jogendra Singh (08-12-2011)
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