● आजाद कहाँ हैं हम...?
गुलामी जो घर से शुरू होती है वो दरवाजा पार करने पर भी नहीं रूकती..... घर वाली गुलामी तो सांकेतिक है जो जताती है कि बेटा अब सारे संसार में तुझे जी हुजूर ही कहते जाना है..... चाहे दफ्तर हो , पुलिस , राजनीती , और जाने कैसा कैसा गुलामी का दलदल भरा है सब जगह..... और हम कहते हैं कि देश आजाद हो गया.....
● __________ जोगी :(
Comments
2 Responses to “आजाद कहाँ हैं हम...?”
सही कहा आपने ,रक्षाबंधन की बहुत बहुत बधाई और शुभकामनायें
बहुत सार्थक प्रस्तुति
स्वाधीनता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
मेरे ब्लॉग पर भी पधारने का कष्ट करें .
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