भाषाई मर्यादा

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► एक  विचार
► "सत्यम् वदम् - प्रियं वदम् , न वदम् - सत्यम् अप्रियम्" संस्कृत में कही इस बात से अच्छी बात और कोई नहीं ,,, क्योंकि भाषाई गन्दगी कितनी दूर तक असर डाल सकती है इसका कभी कभी अंदाज़ा तक नहीं लग पाता ... अक्सर बाद में उसे फ़ैलाने वाले भी उसके लपेटे में आ जाते हैं ... बेहतर है कि भाषाई सभ्यता और मर्यादा का भान और मान भी रखा जाये...
 
► जोगी... :)


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Comments

6 Responses to “भाषाई मर्यादा”

ASHOK BAJAJ said...
12 October 2010 at 12:22 am

बहत सुन्दर ,बधाई.

Sunil Kumar said...
12 October 2010 at 7:13 am

मग़र हम कि मानने को तैयार नहीं कब समझेंगे हम ?...

Chandrasekhar said...
12 October 2010 at 2:21 pm

जोगी भाई साहब बिलकुल ठीक कहा आपने, हम लोग इसे शीघ्र समझें तो भला. क्षमा कीजियेगा चूंकि यहाँ कम आ पा रहे हैं, इसलिए आपकी कुछ पोस्ट मिस कर गए लगता है. धन्यवाद व शुभकामनाएं !

Unknown said...
12 October 2010 at 11:20 pm

धन्यवाद ► अशोक जी ... :)

Unknown said...
12 October 2010 at 11:22 pm

► सुनील जी , सवाल यही है जो अनुत्तरित है ... :)

Unknown said...
12 October 2010 at 11:22 pm

► चंद्रशेखर जी , आपका न आने पर परेशानी दिखाना मेरे ह्रदय को छू कर गया है ... आपका धन्यवाद ... :)

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