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► एक विचार
► "सत्यम् वदम् - प्रियं वदम् , न वदम् - सत्यम् अप्रियम्" संस्कृत में कही इस बात से अच्छी बात और कोई नहीं ,,, क्योंकि भाषाई गन्दगी कितनी दूर तक असर डाल सकती है इसका कभी कभी अंदाज़ा तक नहीं लग पाता ... अक्सर बाद में उसे फ़ैलाने वाले भी उसके लपेटे में आ जाते हैं ... बेहतर है कि भाषाई सभ्यता और मर्यादा का भान और मान भी रखा जाये...
► जोगी... :)
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Comments
6 Responses to “भाषाई मर्यादा”
बहत सुन्दर ,बधाई.
मग़र हम कि मानने को तैयार नहीं कब समझेंगे हम ?...
जोगी भाई साहब बिलकुल ठीक कहा आपने, हम लोग इसे शीघ्र समझें तो भला. क्षमा कीजियेगा चूंकि यहाँ कम आ पा रहे हैं, इसलिए आपकी कुछ पोस्ट मिस कर गए लगता है. धन्यवाद व शुभकामनाएं !
धन्यवाद ► अशोक जी ... :)
► सुनील जी , सवाल यही है जो अनुत्तरित है ... :)
► चंद्रशेखर जी , आपका न आने पर परेशानी दिखाना मेरे ह्रदय को छू कर गया है ... आपका धन्यवाद ... :)
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