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► वंदे~मातरम :::
ये सिर्फ दो शब्द मात्र नहीं हैं जिन्हें जैसे चाहा मुँह खोल कर उगल दिया..... बल्कि इसके मायनों को समझना , उन्हें ह्रदय से अंगीकार करना और फिर इन शब्दों को सार्थक बनाने के लिए मातृभूमि पर हो रही हर गन्दगी से उसे मुक्त करवाने के कार्य पर लग जाना... तब मुँह से वंदे~मातरम निकाला जाना चाहिए.....
► जोगी :)
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Comments
2 Responses to “वंदे~मातरम :::”
आप बिलकुल ठीक कह रहे हैं सर!यह एक बहुत ही गहन अर्थ लिए हुए एक पूजनीय शब्द है.
सादर
आपके विचारों का सदैव स्वागत है *** यशवंत जी..... :)))
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