Wednesday, 22 December 2010
- By Unknown
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क्यूँ आज भी..? ©
कुछ लफ्ज़ कहें तुमसे या तुम हमसे... गया ज़माना हो गया है यह अब... क्यूँ आज भी..
लिपटाये बैठे हैं उन ज़र्द पत्तों को खुद से... सुना है आज फिर से कुछ नाते हवा हो गए हैं...
__________________(जोगी..) ..... :((
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क्यूँ आज भी..? ©
Comments
4 Responses to “क्यूँ आज भी..? ©”
नए साल पर हार्दिक शुभकामना .. आपकी पोस्ट बेहद पसंद आई ..आज (31-12-2010) चर्चामंच पर आपकी यह पोस्ट है .. http://charchamanch.uchacharan.blogspot.com.. पुनः नववर्ष पर मेरा हार्दिक अभिनन्दन और मंगलकामनाएं |
उफ़! कितनी गहरी बात कितनी सादगी से कह दी।
► नूतन ,,, मेरी बहन ने चर्चा मंच पर शामिल किया है तो देखना तो है साथ ही धन्यवाद भी है तुमको........ :)
► वंदना ,,, बस यूँही कुछ लिख दिया दोस्त...... :)
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