फितरत ::: ©
फितरत ::: ©
आईने पे न शिकन है न किरचें कहीं.. उसे तो बस किसी की फिकर नहीं..
कह देखो शायद सुन ले वो तुम्हें भी.. वर्ना चेहरे बदलना है फितरत उसकी..
__________________जोगी :((
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Jogendra Singh ~ जोगेंद्र सिंह..
Comments
2 Responses to “फितरत ::: ©”
इंसान की फितरत है जोगी भाई.....चेहरे बदलना
► प्रति भईया... आपका धन्यवाद .......
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