बहकाती है क्यूँ जिंदगी...? ©
बहकाती है क्यूँ जिंदगी...? ©
शुरू में गज़ल सी , फिर भटकती लय है क्यूँ जिंदगी......
हर रंग भरा इसमें तुमने , सवाल सी है क्यूँ जिंदगी.......
ज़वाब दिए खुद तुम्हीं ने , फिर अधूरी है क्यूँ जिंदगी.....
माना है डगर कठिन , कदम बहकाती है क्यूँ जिंदगी.....
मंजिल का पता नहीं पर , राह भटकाती है क्यूँ जिंदगी.....
Photography & Creation by :- जोगेन्द्र सिंह Jogendra Singh (21 दिसंबर 2010)
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Comments
2 Responses to “बहकाती है क्यूँ जिंदगी...? ©”
जोगी , बहुत प्यारा लिखा है .. एक तरन्नुम सी जिन्दगी के सभी रूप दिखा दिए.
► अपर्णा जी , धन्यवाद......
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