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::: फेसबुक में भक्तों की आँधी :: © (मेरा व्यंग्य लेख)
► दोस्तों ... फेसबुक में मेरे जानने वालों के बीच दो तरह की सोचें घूम रही हैं ... एक तरफ मेरे सभी मित्रगण और अपने लोग कहते हैं कि मुझे फेसबुक नहीं छोडनी चाहिए और वे गलत भी नहीं हैं ... मेरा कोई भी अपना गलत सलाह दे भी कैसे सकता है ... मुझे पता है , जो मुझे थोडा भी ठीक से जानते हैं वे कभी मेरा या मैं उनका साथ नहीं छोड़ने वाला हूँ , न ही वो मुझे पलायन की सलाह देंगे ... वहीँ दूसरी तरफ कुछ महान आत्माएं हैं जो मुझे यहाँ से तड़ी ही कर देना चाहती हैं ... मगर वो सभी जो मुझे गायब कर देना चाहते हैं वे भूल में हैं ... मैं किसी से डर कर भाग नहीं रहा हूँ बल्कि यूँ समझिए यह मेरे आराम फरमाने का समय है ...
► खालिस "जाट" हूँ , हाथी ही समझो ... ऐसे कुत्ते-बिल्लियों के पीछे भोंकने या खिसियाने से मुझे कितना फर्क आ जाना है जो ... ऐसे लोग तो मुझे आराम देने का जरिया ही बनते हैं , अब इतनी सेवा तो इनको करनी भी चाहिए ... कैसे मैं इनको ना कर सकता हूँ ... कि ना पडो मेरे पाँव और ना ही दिन रात मेरे नाम की माला ही ज़पो ... साथ ही बिना ज्यादा मेहनत किये इन भक्तों की भक्ति स्वरुप फेसबुक में अब मुझे पहले से अधिक लोग जानने लगे हैं , समझो यह भी इन्हीं बे-दाम के नौकरों की वजह से ही है ... इन्होने अपने भगवान और माँ-बाप का नाम भी उतना नहीं जपा होगा जितना आजकल ये लोग मेरा नाम जपते हैं ... दोस्तों अब आप ही बताएं , इससे अच्छे बेगार करने वाले फोकटिये सेवक मुझे और कहाँ मिलेंगे ... ? लोग अपना नाम कमाने में पूरा जीवन गुजार देते हैं जोकि इन मरदूदों की सहायता से मुझे घर बैठे मुफ्त ही में हांसिल हो रहा है ... हा.हा.आहा...
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इन्हीं भक्तों के कारण सभी को पता चलने लगा है कि मैं पेड आर्टिकल्स भी लिखता हूँ और मेरे खींचे फोटोज बिकते हैं ... सो क्या पता इनकी दी हुई प्रसिद्धि से , मुझे कोई अच्छी डील ही मिल जाये ........ :)
इन्हीं भक्तों के कारण सभी को पता चलने लगा है कि मैं पेड आर्टिकल्स भी लिखता हूँ और मेरे खींचे फोटोज बिकते हैं ... सो क्या पता इनकी दी हुई प्रसिद्धि से , मुझे कोई अच्छी डील ही मिल जाये ........ :)
► मैंने तो ठीक से अभी आशीर्वाद देना तक नहीं सीखा ... क्या करूँ , कैसे करूँ , कोई तो मुझे बताये , और नहीं तो किसी कोचिंग का ही पता बता दे जहाँ यह विधा भी सिखा दी जाती हो ... अपने इन अनमोल भक्तों को मैं निराश नहीं करना चाहता ... इन्हीं की बदौलत ही तो आने वाले समय में मेरे जानने वालों की संख्या में तगड़ी संख्या का तडका लगने वाला है ... हे.हे.एहे... आज मैं समझ सकता हूँ कि भगवान को कितनी सुहाती होगी यह भक्ति और नराजगी में दी हुई गालियाँ ...
► राक्षस भी ज़रूरत होने पर तपस्या का सहारा लेते थे ... समझो ये लोग भी मेरे उपासक बने हुए हैं ... अब इन लोगों के पास अपना तो कोई गुण है नहीं तो क्यूँ न किसी दूसरे के नाम से खेलते हुए उसके नाम से पायी दिमागी रोटियों से ही पेट भर लिया जाये ... ? अरे भाई खाली दिमाग शैतान का घर होता है ... वो कहते हैं ना कि जिसमें कोई गुण नहीं होता , उसमें विवाद पैदा कर देने का विलक्षण गुण होता है ... अपने इसी गुण की वजह से ये चमचे या गुंडे-मवाली कहलाते हैं ... और हाँ यही सब बेच कर ही तो ये लोग अपनी रोटी भी जुटाते हैं ... सो मेरे प्रिय भक्तों मेरा स्नेहाशीर्वाद तुम्हारे सर पर हमेशा रहेगा ... जाओ और मेरे नाम को उछालते हुए अपना नाम कमाओ ... मेरी रचनाओं-कविताओं को चुराओ , मेरे फोटोज को इस्तेमाल करो और एक अच्छे और सच्चे गुलाम की तरह मेरा नाम सारे संसार में फैलाओ ...चिंता न करो एक दिन मैं भी तुम्हें आशीर्वाद देना अवश्य ही सीख लूँगा ... हा हा आहा ... :
► हाहाहा........ क्या करूँ ऐसा ही हूँ मैं ...
दोस्तों आप सभी बड़े हैं , आपका अनुभव भी मुझसे बड़ा है तो जो कहेंगे गलत नहीं कहेंगे ...वैसे मैंने इस पुराने बेतुके विवाद को अपने ही अंदाज़ में हमेशा के लिए एक हास्य-व्यंग्य की शक्ल में समाप्त कर दिया ...है ... इसके बाद वे लोग जो भी कहेंगे तो मेरा ज़वाब सिर्फ यही होगा कि ये लोग मेरी सेवा कर रहे हैं ...
► हाहाहा........ क्या करूँ ऐसा ही हूँ मैं ...
दोस्तों आप सभी बड़े हैं , आपका अनुभव भी मुझसे बड़ा है तो जो कहेंगे गलत नहीं कहेंगे ...वैसे मैंने इस पुराने बेतुके विवाद को अपने ही अंदाज़ में हमेशा के लिए एक हास्य-व्यंग्य की शक्ल में समाप्त कर दिया ...है ... इसके बाद वे लोग जो भी कहेंगे तो मेरा ज़वाब सिर्फ यही होगा कि ये लोग मेरी सेवा कर रहे हैं ...
► जोगेन्द्र सिंह Jogendra Singh ( 27 सितम्बर 2010 )
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Comments
2 Responses to “फेसबुक में भक्तों की आँधी :: ©”
bhagwaan aapko aise bhakon se ghira rakhe ... aur aap khoob khyaati paayein ..:)
► क्षितिज जी , हेहे.. ऐसे भक्त दुःख भी बहुत देते हैं ... :)
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