घरौंदा कहूँ या सराय :: ©


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::: घरौंदा कहूँ या सराय :: ©

प्रेम सागर से झील की ओर जाता हुआ ...
जैसे छोटी सी दुनिया बसाना चाहता हो ...
छोटे सपनों सा घरौंदा बसाना चाहता हो ...

कोई आये कह दे मुझे रह लूँ बन पथिक ...
कुछ समय के लिए , तेरे इस आसरे में ...
सोच रहा हूँ अब इसे घरौंदा कहूँ या सराय ...
आना है तुम्हें फिर से चले जाने के लिए ...

तुम न आते तो मैं राह तकता तुम्हारी ...
सालता मुझे यह गम मगर ज्यादा नहीं ...
आकर चले जाना न बर्दाश्त होगा मुझे ...
बेहतर है तुम न आओ इस घरौंदे में ..
घर ही रह जाने दो मेरे इस घरौंदा को ...
क्या फर्क हो जाना है ? पहले भी तो ...
तुम बिन अकेला था , सूनी दीवारों में ..

प्रेम सागर से झील की ओर जाता हुआ ...
जैसे छोटी सी दुनिया बसाना चाहता हो ...
छोटे सपनों सा घरौंदा बसाना चाहता हो ...
पर अब राह पोखर की ओर जाती हुई ...

एक अकेली तलैया बन रही वीरानों में ...
ठहरे पानी में अब अक्स दिखना बंद हैं ...
ठहरेपन में यादों की झाडियाँ उग पड़ी हैं ...
क्या करूँ बूंदों से नज़र जो धुंधली हो रही है ...
कोई चेहरा जोगी पानी में नज़र नहीं आता ...

जोगेन्द्र सिंह Jogendra Singh ( 29 सितम्बर 2010 )

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Comments

9 Responses to “घरौंदा कहूँ या सराय :: ©”

29 September 2010 at 2:03 pm

वाह!!!वाह!!! क्या कहने, बेहद उम्दा

29 September 2010 at 2:31 pm

विरह को सुन्दर शब्दों मे बाँध दिया है। बहुत अच्छी लगी कविता। शुभकामनायें

vandana gupta said...
29 September 2010 at 4:05 pm

वाह्……………बेहद खूबसूरत भावो का समन्वय्।

29 September 2010 at 10:54 pm

आपके ब्लोग पर भ्रमण कर अच्छा लगा ।
बेहतरीन सज़-सज़्ज़ा !
खूबसूरत ब्लोग !!
अच्छी रचनाएं !!!
बधाई !
फ़िर आऊंगा !

Unknown said...
1 October 2010 at 1:42 am

► पुरोहित जी ,,, आपके शब्द आगे के लिए उत्साहवर्धक हैं ... धन्यवाद ...

Unknown said...
1 October 2010 at 1:42 am

► वंदना जी ... आपका शुक्रिया ...

Unknown said...
1 October 2010 at 1:42 am

► निर्मला जी ... असल में मैंने किसी जगह सागर और प्रेम एक साथ लिखा देखा था तो तुकबंदी के स्वरुप यह तुच्छ सी कविता बन पड़ी है ...

Unknown said...
1 October 2010 at 1:43 am

► संजय भास्कर जी , आपका बहुत-बहुत शुक्रिया ...

Anonymous said...
1 October 2010 at 8:34 am

bahut sunder rachna joginder ji .... aakhri lines bahut hi kmaal ban payin hain ...ek akeli talaiya... bahut khoobsurat aur bhavpoorn ....

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