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एक सोच :
इंसानियत आज मज़हब/ राजनीति/ झूठ/ फरेब आदि के तले दब कर मरणासन्न है ...
किसे पुकारते हो तुम ... ?
जो आज खुद आश्रित है चंद भले लोगों पर वो ख़ाक जमाना बदलेगी ...
►जोगेन्द्र सिंह Jogendra Singh
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