फिर भी आँख है सूनी.. Copyright ©
फिर भी आँख है सूनी.. Copyright ©
फिर भी आँख है सूनी..
उस राह को तकते हुए..
जो जाती है सीधे तेरे दर पे..
तुमने कहा मैं भूल गया आना..
कहा तुमने मैं भूल गया तुमको..
सुना मैंने भी कुछ ऐसा ही था कि मैं..
पर तुम क्या जानो क्या बीती है मुझ पर..
सारा जमाना क्या , हम खुद को ही भूले बैठे हैं..
"आशा" आँखों में , पर तुम बिन आँखों का कोई काम नहीं..
जोगेन्द्र सिंह Jogendra Singh ( 10 जनवरी 2011 )
Photography by :- Jogendra Singh
► Note :- फोटो में कबूतर के चारों ओर बिखरे खत्म हो चुके दानों को मैंने नायिका सी संज्ञा देते हुए उन्हें छिलकों में खोजती कबूतर की सूनी आँखों को अपनी कविता के नायक की आँखों में भूली-बिसरी नायिका के लिए उत्पन्न हुए सूनेपन से तुलनीय माना है......
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Comments
2 Responses to “फिर भी आँख है सूनी.. Copyright ©”
... ahasaason se labaa-lab !!
► सवेरा जी , आपका आभार............
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