आँचल की लड़ाई



छोड़ दो आँचल ज़माना क्या कहेगा ?
चल देती है कह कर इठलाती नायिका
आँचल न हुआ प्रेम पुस्तक का इक पन्ना सा हो गया
आँचल की लड़ाई तो सदियों से चली आ रही है
पूरी नायिका छोड़..
पड़ जाता नायक आँचल के पीछे
बेचारी नायिका..
स्वप्न संजोये आँचल से आगे के
इंतजार करती.. तरसती आगे के पग को
न माना नायक..
न जाता आगे आँचल से
थक हार साथ छोड़ आँचल का
कर आँचल को ही अलविदा
चली नायिका बिन आँचल अब
कशमकश में नायक बेचारा
क्या पकडे अब क्या छोड़े वह
गीत बढ़त का लाये कहाँ से ?
बन गयी आधुनिक अब नायिका
नहीं मिल पाता अंतर नवीन-पुरातन का
कैसे ढूंढे नायक अधुनातन या पुरातन को
वक़्त की करवट.. है बदली नायिका
है आ चुका अब दौर परिवर्तन का
बन विस्थापित.. है दिखता नायक अब नायिका सा !!

_____जोगेंद्र सिंह "Jogendra Singh" ( 17 जून 2010_10:53 am )
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Comments

4 Responses to “आँचल की लड़ाई”

Aseem said...
17 June 2010 at 11:11 pm

अच्छी रचना

Unknown said...
18 June 2010 at 12:27 am

धन्यवाद @ असीम जी..

Amit Gupta said...
18 June 2010 at 8:31 pm

nice...............:)

Unknown said...
18 June 2010 at 9:03 pm

सब आँचल की माया है @ अमित.. hehe..

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