साहित्य चोर



एक प्रतिक्रिया :-

साहित्य चोरों की कोई विशेष जामत नहीं होती.. यत्र-तत्र-सर्वत्र वे मौजूद रहते हैं.. थोथी पाना ही उनका लक्ष्य होता है..वे यह भी भूल जाते हैं कि पकडे जाने पर उनकी अपनी रचनाएँ भी संदेह के घेरे में आ जाने वाली हैं.. तब उनकी अपनी मेहनत भी मिटटी हो जानी है.. (..जोगी..)
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