
मिल जाती है ख्वाबों सी कैफ़ियत, जब कहते हो तुम, रुक जाने के लिए..
लिल्लाह कैसे ना रुकें हम, जब सामने हो मौजूद, नायाब तुम सा..
जोगेंद्र सिंह Jogendra Singh ( 02 अगस्त 2010 )
Note :- दोस्तों, मेरी ये शायरी कोई यूँही नहीं बन पड़ी है.. "फरीदा-खानम" की एक मशहूर शायरी पर कहीं कमेन्ट लिख रहा था, तो जो कमेन्ट थी उसी ने शायरी का रूप ले लिया.. "फरीदा-खानम" की वह शायरी भी यहाँ नीचे लिखे दे रहा हूँ..
>>>
तुम ही सोचो ज़रा, क्यूँ न रोकें तुम्हें, जान जाती है जब उठ के जाते हो तुम..
आज जाने की जिद ना करो, यूँही पहलू में बैठे रहो, आज जाने की जिद ना करो..
>>>
Photography by : Jogendra Singh
.
Comments
2 Responses to “ख्वाबों सी कैफ़ियत”
kya baat bahi
thanx Amit......... :)
Post a Comment
Note : अपनी प्रतिक्रिया देते समय कृपया संयमित भाषा का इस्तेमाल करे।
▬● (my business sites..)
● [Su-j Health (Acupressure Health)] ► http://web-acu.com/
● [Su-j Health (Acupressure Health)] ► http://acu5.weebly.com/
.