खोया-खोया चाँद
खोये-खोये चाँद की तलाश में, ख्वाबों में क्यूँ खोये चले जाते हो तुम..
नज़रें उठा कर देखो ज़रा तुम आईना, एक चाँद छुपा बैठा हैं उसमें भी.. ©
जोगेंद्र सिंह Jogendra Singh ( 05 अगस्त 2010 )
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Jogendra Singh ~ जोगेंद्र सिंह..
Comments
2 Responses to “खोया-खोया चाँद”
बहुत खूब!
धन्यवाद दोस्त..
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