हाँ यहीं तो हो तुम



हाँ यहीं तो हो तुम, और जा भी कहाँ सकती हो ...
तलाशते रहेंगे एक दूसरे में खुद को मगर ...
साये के साये में, साये को खोज पाएंगे कैसे ... ?
कोशिशें, तलाश, और यही ज़द्दोज़हद ढूंढ पाने की ...
जैसे खुद में दूसरा बाशिंदा बसा रखा हो हमने ...

गर हाथ थाम लेती जो तुम पास आकर मेरा ...
मौजूद साये को साये से अलहदा भी देख पाता ...
मगर ज़रूरत ही क्या तुम्हें अलहदा देखने की ...
तुम में समा कर मैं नज़र आता हूँ मैं से बेहतर ...

_____जोगेन्द्र सिंह Jogendra Singh ( 23 सितम्बर 2010 )

Photography by : Jogendra Singh

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Comments

6 Responses to “हाँ यहीं तो हो तुम”

23 September 2010 at 10:43 pm

खूबसूरती से कहे हैं जज़्बात ...

Unknown said...
23 September 2010 at 11:06 pm

► संगीता जी ,,, धन्यवाद ...

Dr Xitija Singh said...
24 September 2010 at 8:13 am

bahut khoobsurat rachna rajender ji ....

Unknown said...
24 September 2010 at 3:21 pm

► क्षितिजा जी , शुक्रिया ...

26 September 2010 at 2:53 pm

बहुत सुन्दर भावों को पिरोया है

ब्रह्माण्ड

Unknown said...
27 September 2010 at 1:38 am

@ राणा ,,, शुक्रिया मेरे भाई ........ :)

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