तिरंगे की दुर्गति
Wednesday, 11 August 2010
- By Unknown
सबसे पहले ll भारत माता को सादर वन्दे ll
► मैं आज सभी भारतीयों से एक बात बांटना चाहता हूँ.. वह यह कि अचानक फेसबुक पर किसी मोहतरमा के द्वारा डाले गए स्टेटस पर मेरे मित्र सत्यव्रत जी की नज़र पड़ी तो उन्होंने इसकी भाषा पर आपत्ति जतायी कि अगर कुछ गलत किया गया है तो उस गलत को जाताने का भी एक सम्माननीय तरीका होता है.. फिर मेरा मानना भी है कि जब बात राष्ट्र-ध्वज की हो रही हो तो आपकी भाषा में और अधिक शालीनता आ जानी चाहिए..
► उक्त महिला ने अपने स्टेटस में जो लिखा था उसे ब्रेकेट्स में यहाँ ज्यों का त्यों दे रहा हूँ >>>
(( आज देश प्रेम की बाते बरसाती मेंढक की टरटराहट की तरह हो गयी है ! सारा फेसबुक देशभक्ति से रंगा हुआ है ! कुछ अपने प्रोफाइल फोटो में तिरंगा लगा रहे हैं तो कुछ पाकिस्तान को कोसने में लगे है और कुछ फेसबुकियो ने ऐसा बवाल मचाया है आजकल कि वे देश कि सारी समस्याओ का सारा निपटारा अभी फेसबुक पर ही कर के दम लेंगे! इसके ठीक एक दिन बाद ही यानि कि १६ अगस्त और २७ जनवरी को ही हमें तिरंगा कूड़े या सडको पर फेंका हुआ हुआ नज़र आएगा ! ))
► आप सभी से एक सवाल है मेरा कि जिस भी महान विभूति ने ने फेसबुक में ऐसा स्टेटस डाला है उसकी अपनी मंशा क्या रही होगी इसके पीछे, यह तो वही बता सकती है, परन्तु क्या आप में से कोई एक, सिर्फ एक भी मुझे इस बात कि गारंटी दे सकेगा कि ऐसा सच में नहीं होने वाला है..?
► किसी और ने देखा हो या नहीं देखा हो लेकिन अपने बचपन से बचपन से अब तक इस तरह के कुकृत्य देखता आ रहा हूँ मैं..ऊपर वाले की है उन पर जिन्हें ऐसा करते मैं कभी देख नहीं पाया अन्यथा उनकी गत अपेक्षाकृत कहीं अधिक बुरी होती..
► इसका हल किसी इंसान मात्र को कोसने से नहीं निकलने वाला, बल्कि सार्थक हल निकलेगा जब हम ऐसी सफलता पायें जो किसी भी ख़ास दिन जो राष्ट्र के लिए समर्पित हो, पर सार्वजानिक रूप से झंडे का वितरण रोक सके..
► क्या लगता है आप लोगों को..? कोई भी हाथ में देश के सम्मान चिन्ह के रूप में एक झंडा लिए चलता आएगा और कहेगा मैं देश भक्त हूँ तो यह मान लेने लायक बात है..? या सिर्फ ध्वजा हाथ में ले लेना ही राष्ट्र-भक्ति का परिचायक है.. अगर सिर्फ झंडे को हाथ में लेना ही सबूत है तो सारे गद्दार इसे ले लेकर इसकी आड़ में अपनी करतूतों को अंजाम दिए जायेंगे.. कौन रोकेगा उन्हें..
► मेरा यह मानना है कि जिस तरह वर्ष के अन्य दिवसों में राष्ट्र-ध्वज केवल जगह विशेषों पर ही फहराया जाता है ठीक वैसे ही ख़ास दिवसों पर भी होना चाहिए ताकि ध्वज के साथ हो रही कथित संभावित अवमानना से बचा जा सके..
► जो लोग मेरे इस विचार विरोध में आना चाहें, पहले वे बिना ध्वज अपनी राष्ट्र-भक्ति साबित करें फिर ध्वज को हाथ लगाने कि जुर्रत करें..
► ll वन्दे मातरम ll
► जोगेंद्र सिंह Jogendra Singh ( 11 अगस्त 2010 )
Note :- उपरोक्त लेख पर मेरे फेसबुक प्रोफाईल पर छिड़ी बहस देखना चाहें तो नीचे वाले लिंक पर क्लिक करे >>>
http://www.facebook.com/photo.php?pid=192991&id=100000906045711&ref=fbx_album
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Comments
9 Responses to “तिरंगे की दुर्गति”
बेहतरीन उम्दा पोस्ट-तिरंगे का सम्मान राष्ट्र का सम्मान है।
ब्लॉग4वार्ता पर स्वागत है आपका
चेतावनी-सावधान ब्लागर्स--अवश्य पढ़ें
बिल्कुल सही कहा आपने, तिरंगे को सार्वजानिक स्थानों बार बाटना बंद कर देना चाहिए और जो भी राष्ट्र ध्वज की अवमानना में लिप्त पाए जाये उन्हें कठोर सजा मिलनी चाहिए|
► ललित जी, आपका बहुत आभार.........
► ब्रम्हाण्ड महाराज, आपका नाम महान है और उसी की तरह से आपके विचार भी सुन्दर हैं.. धन्यवाद..
jogendra ,
tumne mere status ko apne blog ya wall par likhne ki himmat kaise ki ,
kya tumhe nhi maloom tha ki vo mera hai .....
mujhe block karke ab mere status bhi churana suru kar diye ....
mujhe mera status koi aur likhe mujhe sakht etraz hai, aur mai block bhi hu to ye churana nhi hai to kya hai ,
tum mujhse dur rho aur meri pankitiya yha se turant delete kro , maine pura screen shot le liya hai ....
jab tum ye kahte ho ki tumhari anumati ke bagair koi tumhari koi sagri nhi le sakta ,
to tumne meri anumati ke bagair mera Q likha ?
kya tumhare khud ke vicha , tumhare lekhni se nhi nikalte .....
► ► ► परम पूज्या मीतु जी !! सादर नमस्कार..!!
► इस तरह आपको अपना आप नहीं खोना चाहिए.. मैंने किसी हालत में आपके फेसबुक अकाउंट से कुछ नहीं उठाया है.. और जहां से इसे उठाया है उस जगह का हवाला मैंने नाम के साथ दिया है.. आपको जाकर वहीँ पूछना चाहिए कि उन्होंने ऐसा क्यूँ किया..?
► और जहां तक मेरा सवाल है, मैंने कभी किसी दुसरे कि चीज़ को अपना नहीं कहा.. अगर हवाले के तौर पर भी कुछ प्रयोग किया है तो स्त्रोत कि जानकारी भी अवश्य ही दी है, जो कि ईमानदारी की संज्ञा पाता है..
► आप जाएँ दौड़ कर और मेरे स्त्रोत पर कदमताल कीजिये.. सारे सवाल उसी जगह जाकर कीजियेगा.. अगर "सत्यव्रत जी" चाहेंगे कि मैं इसे हटा दूं तो अवश्य ही हटा दूंगा..
► वैसे आप को अपनी बुद्धि का भी प्रयोग कर लेना चाहिए कि उक्त लेख में जो बात आपने कही है मैंने भी उसी का समर्थन करते हुए फिर अपना पूरा लेख लिखा है..
► ► ► सबसे बड़ी बात यह कि देश के लिए इसकी महत्ता को नज़रंदाज़ करते हुए कि इससे निकट भविष्य में राष्ट्र-ध्वज का अपमान रुकने में कुछ मदद मिल सकती है, आपने व्यक्तिगत मुद्दा बना दिया है..
► शर्म आनी चाहिए कि आपके लिए देश भावना छोटी नज़र आ रही है और आपका स्वयं बड़ा बड़ा होता जान पड़ता है..
► फिर बात नहीं करने के लिए >>>
► >>> जोगी >>>
(( आप जाएँ और मेरे स्त्रोत से गुज़ारिश करे कि वे इन पंक्तियों को हटवा दें.. और यही लेखन की नैतिकता भी है..))
यहाँ नीचे तीनों लिंक दे रखे हैं सबूत के तौर पर ► ► ► ► ►
► ► मेरी पोस्ट का लिंक
► ► सत्यव्रत जी की पोस्ट का लिंक
► ► पोल खोलक का लिंक
►►►►► कृपया इन लिंक्स पर क्लिक करके देखें तो सारी बात मिनरल वॉटर की तरह से साफ़ नज़र आएगी..
►►►►► धन्यवाद.....!!
► किसी बेवकूफ को भी अगर मेरी पोस्ट दिखा दी जाये तो वह भी इस बात को देख-समझ पायेगा कि मैंने अपना पूरा लेख सिर्फ एक बात को आधार बना कर लिखा है और जो आधारभूत तत्व है उसका उल्लेख करने जितनी ईमानदारी है मुझमें.. इसका सीधा सा मतलब है कि कोई भी मुझे चोर नहीं कह सकता जबकि मैंने साफ़-साफ़ हवाला दिया है..
Father's day
Mother's day
Teacher's day
Women's day
Children's day
Valentine's day, Friendship day
Do we have to celebrate all these days?
and Valentine's day nothing to tell about that,
all the romeos comes on road to celebrate it but least they know the meaning of love.
and friendship day, Only exchanging of friendship band and wishing each other nothing more than that. Least aware of what a friendship is. rather giving much importance to " friend in need is friend indeed".
And now Independence Day:
Why people criticize it If i want to celebrate it on my wall?
They say it is fever comes only on Independence day and next day it go off.
There are also people to say dont insult the flag by using it anywhere.
U can copy the Western countries, their culture - hi, bye, dad (dead), Mom (mummy: dead body kept for long time).
U change the name of Cities Mumbai, Chennai, Kolkatta, Bangluru.
Then why u wont call ur parent in sanskrit or any Indian Language.
If we can copy all these things then why dont we use flag like them,
as Indian tricolor on T-shirts, to decorate faces, etc.
जोगेंद्र, हम तो पहले से ही आपकी फोटोग्राफी के कायल थे... अब इस ब्लॉग पर आ गए है... ! क्या सजाया है और क्या लेखनी है तुम्हारी ! मान गाएँ उस्ताद... - पंकज त्रिवेदी
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