● जलन ●
जो ये जलन तुम्हारे नाम-ऐ-कलम पर लिखी होगी,
इस जलन के सदके, हम अपना जीवन गुजार लेंगे..... जोगी (04-02-2012)
इस जलन के सदके, हम अपना जीवन गुजार लेंगे..... जोगी (04-02-2012)
हँसी के आगोश में आँसू छिपा जाते हैं,
हम तो अपना ही शीशा तोड़ जाते हैं,
कहते हैं वो क्यों दिल लगाये जाते हो,
चल दिए हम अपना ही दिया बुझाकर... जोगी (04-02-2012)
हम तो अपना ही शीशा तोड़ जाते हैं,
कहते हैं वो क्यों दिल लगाये जाते हो,
चल दिए हम अपना ही दिया बुझाकर... जोगी (04-02-2012)
ख़ामोशी बन जाये जब दिल की जुबाँ ,
कहते हैं तब अंजाम बड़ा दिलकश होता है..... जोगी (04-02-2012)
कहते हैं तब अंजाम बड़ा दिलकश होता है..... जोगी (04-02-2012)
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Comments
6 Responses to “जलन”
ख़ामोशी बन जाये जब दिल की जुबाँ ,
कहते हैं तब अंजाम बड़ा दिलकश होता है... तब भाव गहरे जो हो जाते हैं
गहरे भाव लिए है आपकी रचना ... बहुत अच्छी लगी ...
जलन से भी किस तरह हम सकारात्मक बने रह सकते है ..इसकी सुन्दर अभिव्यक्ति पढने को मिली....
@ रश्मि जी / सारा खेल ही भावों का है...
@ दिगंबर जी / धम्य्वाद दोस्त...
@ कविता जी / पॉजिटिव - निगेटिव सब हमारे ही तो हाथ में है...
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