आओ खो जाएँ सितारों में कहीं..
छोड़ दें आज ये दुनिया ये जमीं ..
विचरें इन सितारों में ही कहीं,
आ नाप लें..गहराई अन्तरिक्ष की,
दूर है जो.. वो अकेला सितारा,
है मंजिल वही अपने अहसासों की,
चल बसा लें अब एक नया जहान,
ना कोई कहने ना सुनने वाला हो,
आ डूब देखें हम इक नयी गहराई,
आओ खो जाएँ सितारों में कहीं..
छोड़ दें आज ये दुनिया ये जमीं ..
____जोगेंद्र सिंह ( 30 मार्च 2010 ___ 12:02 pm )
(( Follow me on facebook >>> http://www.facebook.com/profile.php?id=100000906045711&ref=profile# ))
Comments
3 Responses to “एक नया जहान”
The poem is lyrical. Every thing is fair in love and war! Even the hidden stars can be turned up and side and the ambitious lover can go beyond the zenith of the sky.... but in practical life this abstract love vanishes, evaporates.... and the LIFE appears with all its sharp teeth....!
Superb jogi je..... vry positive!!!! :):)
◊▬►► Aparna ji.. yes you r ryt.. Every thing is fair in love and war !!
◊▬►► Jiya..thank you very much my friend...
Post a Comment
Note : अपनी प्रतिक्रिया देते समय कृपया संयमित भाषा का इस्तेमाल करे।
▬● (my business sites..)
● [Su-j Health (Acupressure Health)] ► http://web-acu.com/
● [Su-j Health (Acupressure Health)] ► http://acu5.weebly.com/
.