अंजाम-ए-दिल
Monday, 31 May 2010
- By Unknown
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शायरी
पीते हैं वे दर्द भागने को, मैं पीता हूँ दर्द बुलाने को..
फर्क बस नाम ही का है, अंजामे दिल जुदा नहीं होता..
_____जोगेंद्र सिंह "Jogendra Singh" ( 29 मई 2010_04:50 pm )
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Comments
2 Responses to “अंजाम-ए-दिल”
चीयर्स ..
@ प्रति भैय्या.. !! क्या बात है अकेले-अकेले..!! गलत बात..
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