हम
Monday, 23 August 2010
- By Unknown
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उठते सवाल..?
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उभरती सोच
@► एक सच @
इतने बुरे तो हैं हम ... जब हमारे साथ कुछ बुरा होता है तो इल्जामों की झड़ी लगा देंगे और दूसरे पर बीत रही पर नज़र घुमाने तक की फुर्सत नहीं ... वाह रे हम ... हमारे हम होने पर बधाई ...
... ( जोगेन्द्र सिंह ) ...
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Comments
7 Responses to “हम”
ham aise hai isliye to hamare sath bura hota hai...ham hi aise na hote to jag hi kuchh aur hota.....
फॉण्ट जब तक हाई लाईट न करो, दिखते ही नहीं. थीम बदलिये..शायद दिखने लगें.
बधाइयां जी बधाईयां,आपको श्रावणी पर्व की ढेर सारी बधाई
लांस नायक वेदराम!
@ कविता जी , वास्तव में हम बदलना ही नहीं चाहते ..
@ उड़न तश्तरी , आप किन फ़ॉन्ट्स की बात कर रहे हैं .. ?
@ ललित जी , देरी के लिए माफ़ी ... आपको भी बधाइयाँ ...
@ प्रताप , तुमको भी त्यौहार पर शुभकामनायें ..
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