ममता और सत्य
Friday, 16 July 2010
- By Unknown
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उभरती सोच
@ एक सोच @
दूसरों के लिए मन में ममता का भाव और अपने अंतरतम में सत्य का वास हो तो बाकी की सभी गलत बातें स्वयं ही अपना स्वरुप बदलने लगती हैं..
...जोगी..
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Comments
2 Responses to “ममता और सत्य”
well said !
thank you @ Divya ji...... :)
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