धधक उठी है आग हमारे सीने में..
लगाते हो तुम भी, लगाते वो भी हैं..
फर्क हुआ तो बस इतना सा ही..
इक आग ज़लाती सीना है..
दूजी आग बदलती प्रारब्ध है..
लगाते हो तुम भी, लगाते वो भी हैं..
फर्क हुआ तो बस इतना सा ही..
इक आग ज़लाती सीना है..
दूजी आग बदलती प्रारब्ध है..
जोगेंद्र सिंह Jogendra Singh ( 11 जुलाई 2010_01:30 pm )
Photography by : Jogendra Singh
Location : My home at Bharatpur ( Rajasthan ) ( 06-06-2010 )
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Comments
3 Responses to “आग..”
Aaj ke zamaane kee voh tasveer jiski or koi dekhta nahin hai ya dikhaanaa nahin chahta hai .
phir bhi aapki naazar udhar laut hee jaati hai
nice
@ देवेन जी.. टिपण्णी के लिए धन्यवाद..
@ माधव जी.. आपका आभार..
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