बता ऐ ज़िन्दगी..!!
Thursday, 22 July 2010
- By Unknown
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कविता कोष
बता ऐ ज़िन्दगी..!!
पृथक सा हर ज़गह रूप तूने पाया क्यूँ है..?
ले सवाल हर कोई तेरे पास आया क्यूँ है..?
ओस की बूंदों सी छलना दिखती क्यूँ है..?
पल भर की झलक फिर ओझल होती क्यूँ है..?
जोगेंद्र सिंह Jogendra Singh ( 22 जुलाई 2010_11:34 am )
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Comments
3 Responses to “बता ऐ ज़िन्दगी..!!”
सुन्दर चित्र,
thanx sir ji............. :)
yahi to zindagi hai...........aboojh paheli.
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