( dis photo is not clicked by me...)
ढह गयी वो दिशा भरभरा कर इक रोज़,
समझा जिसे अब तक प्राचीर के मानिंद,
दिखता है अब मुझे उस पार भी नज़ारा,
नंगा सच जीवन का छुपा था जाने कहाँ,
हैं बिलख रहे टिमटिमाते दिए जीवन के,
हैं शामिल सभी.. क्या ही बच्चे और बूढ़े,
तरसते क्षुधा चक्षु.. हैं ताक रहे इस ओर,
क्या सार्थक यही जीना है हम ऊँचों का..?
क्यूँ ना बढ़ते क़दम हमारे उस पथ ओर,
जो ठान लिया सहेजेंगे अब इक जीवन भी,
सोच देखो अब हैं कितने हम बदल पायेंगे,
तरसते क्षुधा चक्षुओं की क्षुधा मिटा पाएंगे,
ना है यह कहने की बात आओ कर दिखाएँ,
निकलकर खोखले बुनियादी चोले से अपने,
बना सकते हैं हम जाने कितनी बुनियादें,
देखो निकलकर बुनियादी चोले से अपने,
हैं बिलख रहे टिमटिमाते दिए जीवन के,
तरसते क्षुधा चक्षु.. हैं ताक रहे इस ओर,
आओ देखें बना कर एक नया जहां खुद से...
______________जोगेंद्र सिंह ( 04 अप्रैल 2010 ___ 11:53pm )
(( Join me on facebook >>> http://www.facebook.com/profile.php?id=100000906045711&ref=profile# ))
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
Comments
3 Responses to “नंगा सच जीवन का...”
Simply superb!
thanx @ Aparna ji... !!
hey,
your way of expressing yourself is very impressive. we at tumbhi are constantly looking for quality talent and providing them a platform to leverage their art. I would like to invite you to our family.
many congratulations for your work.
-- Tumbhi
Website- http://www.tumbhi.com
Facebook -http://www.facebook.com/home.php?#!/TUMBHI
Twitter- http://www.twitter.com/tumbhi
Blog- http://tumbhi.livejournal.com/
Post a Comment
Note : अपनी प्रतिक्रिया देते समय कृपया संयमित भाषा का इस्तेमाल करे।
▬● (my business sites..)
● [Su-j Health (Acupressure Health)] ► http://web-acu.com/
● [Su-j Health (Acupressure Health)] ► http://acu5.weebly.com/
.