ओस की बूंदों सी होती हैं बेटियाँ !
दिल से सलोनी ढोतीं हैं बेटियाँ !
दिल का मरहम भी होती है बेटियाँ !
दो कुलों की लाज होती है बेटियाँ !
कहते हैं करेगा नाम रौशन बेटा ही !
क्यूँ भूल जाते लगती है ठोकर उसी से !
अक्सर है भटकाता दर दर बेटा ही !
ना विधि का विधान ना दुनिया की रीत है !
लगती भार हैं यहाँ बहुतों को बेटियाँ !
वक़्त पड़े तो मरहम भी होती हैं बेटियाँ !
माँ की मासूम ममता सी होती हैं बेटियाँ !
वक़्त पर मित्र बहिन सी होती हैं बेटियाँ !
क्यों लगती भार यहाँ बहुतों को बेटियाँ !
__________जोगेंद्र सिंह ( 07 अप्रैल 2010 ___ 11:31 am )
Comments
2 Responses to “बेटियाँ...!!”
Jogi
Jhalak is really sweet and the Mother is charming!
Love to both.
yes Aparna ji... thanx for your lovely opinion...
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