( यह चित्र मेरे द्वारा क्लिक किया गया है... वरली see face मुंबई पर...)
अब तक जो था" मैं "...
नहीं - अबसे वो " मैं " नहीं हूँ ~
कौन हूँ और क्या ही पहचान है मेरी,
कहाँ था मैं अब तक..हूँ कहाँ अब मैं,
क्यूँ छुपी पहचान है अब तक,
वे कहते हैं लोग "जोग" मुझे,
हूँ कहाँ अब जोग भी मैं,
हूँ जानता कहाँ अर्थ जोग का,
यह तो बस संजोग ही है,
कोई तो हो.. बता दे आकर,
अब जुड़ा दे जोग को संजोग से,
कोई और नहीं अब तू ही बता दे,
गुहार है मेरी तुझसे ऐ तारनहार,
आ बता सार्थक बना जीवन मेरा,
अब तक जो था" मैं "...
नहीं - अबसे वो " मैं " नहीं हूँ ~
कौन हूँ और क्या ही पहचान है मेरी,
कहाँ था मैं अब तक..हूँ कहाँ अब मैं...
__________जोगेंद्र सिंह ( 05 अप्रैल 2010 ___ 11:21 pm )
(( यहाँ इस चित्र का इस्तेमाल एक खालीपन एवं ऊहापोह वाली मनःस्थिति को दर्शाने के लिए किया गया है...जो कि ठीक इस चित्र कि भाँति खाली और वीरान है... सोच एवं हलचल रहित...))
Comments
One response to “क्या है मेरी पहचान..?”
we all struggle for to make people realize our presence and identity. A man without identity loses his Self Being. The poet has ardent drive to live life with more meaning. May the poet achieve all his goals and targets and be a successful man in his life.
God Bless You Jogi!
Post a Comment
Note : अपनी प्रतिक्रिया देते समय कृपया संयमित भाषा का इस्तेमाल करे।
▬● (my business sites..)
● [Su-j Health (Acupressure Health)] ► http://web-acu.com/
● [Su-j Health (Acupressure Health)] ► http://acu5.weebly.com/
.