( dis photo is not clicked by me...)
ना आ रहा है समझ है रिश्ता ही क्या तेरा मेरा,
हूँ कौन मैं और कौन है तू आ बैठी जीवन में मेरे,
क्या सोच रहा मन मचल रहा उद्वेलित सा क्यूँ है,
सोच रहा क्या रखूँ नाम अनजाने से इस नाते का,
होता प्रतीत अलग थलग सा स्थापित उन नातों से,
होती मिश्र अनुभूति पूर्व स्थापित उन रिश्तों की,
फिर भी जाने क्यूँ लगती अनजानी निराली सी,
मन तरंग मोरी क्यों मचल जाती हुलर भी जाती,
जीवन में मेरे बनके बयार आई है.. इक झोंका बन,
क्या और क्यूँ है तू .. है अस्तित्व भी क्या मेरा भी,
ना चाहूँ ये मंथन सा मन में.. अब उठ रहा क्यूँ है,
बन मन मयूरी नाच उन्मत्त अब दिखा रही क्यूँ है,
ग़र चाहूँ ना सोचूं मैं.. यह सोच दिल उदास क्यूँ है,
छोड़ मंथन अब निश्छल मन पाता आनंदित भाव,
हाँ...!! है शायद संध्या यही इस जीवन दिवस की,
छाँव में जिसकी सकून दीखता है निर्मल कोमल सा,
करता शांत उद्वेलना इक अहसास वो शायद यही है,
आदत सी हो गयी है तेरी जाने से तेरे डरता क्यूँ हूँ,
गिरी पलकें झपक कर ख्वाब बने अब दिल में क्यूँ हैं,
अब भी ना आ रहा समझ है रिश्ता ही क्या तेरा मेरा !!
___________जोगेंद्र सिंह ( 07 अप्रैल 2010 ___ 09:45 pm )
ना आ रहा है समझ है रिश्ता ही क्या तेरा मेरा,
हूँ कौन मैं और कौन है तू आ बैठी जीवन में मेरे,
क्या सोच रहा मन मचल रहा उद्वेलित सा क्यूँ है,
सोच रहा क्या रखूँ नाम अनजाने से इस नाते का,
होता प्रतीत अलग थलग सा स्थापित उन नातों से,
होती मिश्र अनुभूति पूर्व स्थापित उन रिश्तों की,
फिर भी जाने क्यूँ लगती अनजानी निराली सी,
मन तरंग मोरी क्यों मचल जाती हुलर भी जाती,
जीवन में मेरे बनके बयार आई है.. इक झोंका बन,
क्या और क्यूँ है तू .. है अस्तित्व भी क्या मेरा भी,
ना चाहूँ ये मंथन सा मन में.. अब उठ रहा क्यूँ है,
बन मन मयूरी नाच उन्मत्त अब दिखा रही क्यूँ है,
ग़र चाहूँ ना सोचूं मैं.. यह सोच दिल उदास क्यूँ है,
छोड़ मंथन अब निश्छल मन पाता आनंदित भाव,
हाँ...!! है शायद संध्या यही इस जीवन दिवस की,
छाँव में जिसकी सकून दीखता है निर्मल कोमल सा,
करता शांत उद्वेलना इक अहसास वो शायद यही है,
आदत सी हो गयी है तेरी जाने से तेरे डरता क्यूँ हूँ,
गिरी पलकें झपक कर ख्वाब बने अब दिल में क्यूँ हैं,
अब भी ना आ रहा समझ है रिश्ता ही क्या तेरा मेरा !!
___________जोगेंद्र सिंह ( 07 अप्रैल 2010 ___ 09:45 pm )
Comments
4 Responses to “रिश्ता ही क्या है तेरा मेरा..?”
Cute pic, and the feelings here are soft and sweet!
प्यार है अनमोल धन स्वीकार कर
मत कभी इस सत्य से इनकार कर
क्या पता भगवान कब किसको मिले,
बस अभी इंसान से तू प्यार कर।
धन्यवाद ▬● अपर्णा जी....... :)
बहुत सुन्दर ▬● प्रकृति जी...... :)
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