जीवन — सरोबार है जीवंत हर रंग सा !
जीवन — 14-हजार योनियों पश्चात मिली रब की नेमत सा !
जीवन — सदिच्छाओं का है दूसरा नाम !
जीवन — जन्मान्तरों के शुभ कर्मों का सुखद परिणाम !
जीवन — चिलचिलाती दोपहर की धूप में आगे बढ़ने का अहसास !
जीवन — कंठ-चुभती सूचियों के बोध से निजात की तीखी प्यास !
जीवन — ठहराव, स्थिरता, भरते घावों का अहसास !
जीवन — एक संन्यास समाज में तब्दीली का !
__________जोगेंद्र सिंह ( 25 अप्रैल 2010___03:42 pm )
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Comments
5 Responses to “जीवन”
Jogi, yahan to aap ek philosopher ke andaz se jivan ko samjha rahe hain. Aapse lagatar kuchh sikhne ko mil raha hai.Jivan -ek sanyaas samaj mein tabdili ka aur jivan ek tharav, sthirta, bharte ghavon ka ahasas - bahut sundar jivan darshan hai.
ज़िंदगी
एक ऐसी पहेली
जिसका हल ढूंढते- ढूंढते ही
ख़त्म हो जाती है
पर उत्तर नही मिलता।
◊▬►► Aparna ji.. aap kuchh sikha bhi sakti hain.. mere liye to aapki baate bhi gyaan ho sakti hain..
◊▬►► प्रकृति दीदी.. आपका उत्तर भी एक प्रश्न बन गया है जो अब भी अनुत्तरित ही है...
wow nice big brother
Thank you ◊▬►► Rakss...
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