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संतान है सागर के सीने की,
तैरता रहता है जीवन भर,
जी पूरा लेने पर भी ऐ शंख,
काम तेरा मन मोहना है,
आँख हों या वे श्रवण इन्द्रियाँ,
रूप ये हैं दोनों मन भीने से,
आँख से दिखती सुन्दरता है,
श्रवण तंत्र का भी प्यारा यह,
फिर चाहे सजे थाल में पूजा के,
या लगे कमल "पुष्प" से होठों पर...
_______जोगेब्द्र सिंह ( 25 मार्च 2010 ___ 02:34am )
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संतान है सागर के सीने की,
तैरता रहता है जीवन भर,
जी पूरा लेने पर भी ऐ शंख,
काम तेरा मन मोहना है,
आँख हों या वे श्रवण इन्द्रियाँ,
रूप ये हैं दोनों मन भीने से,
आँख से दिखती सुन्दरता है,
श्रवण तंत्र का भी प्यारा यह,
फिर चाहे सजे थाल में पूजा के,
या लगे कमल "पुष्प" से होठों पर...
_______जोगेब्द्र सिंह ( 25 मार्च 2010 ___ 02:34am )
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Comments
2 Responses to “शंख... !!”
The auspicious conch symbolizes love, goodness of one's life.A beautiful poem.
thanx @ Aparna...
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